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प्रस्तावना

      भारत के शैक्षिक जगत् में अंतरिक्ष विज्ञान, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं अंतरिक्ष उपयोग से संबंधित अनुसंधान एवं विकास के संचालन हेतु भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक कार्यक्रम विकसित की है, जिसके ज़रिए वित्तीय सहायता प्रदान किया जाता है। इसरो द्वारा प्रवर्तित इस कार्यक्रम का नाम है, रिस्पॉन्ड। विशेष मामलों में ग़ैर-शैक्षिक अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं द्वारा प्रस्तावित अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को भी इस कार्यक्रम के माध्यम से सहायता दी जा सकती है। रिस्पॉन्ड का लक्ष्य भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में गुणवत्ता अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित करना है।

       भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का प्राथमिक उद्देश्य राष्ट्रीय विकास के लिए अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अग्रवर्ती अनुसंधान क्षेत्रों को जोतने के साथ भारतवासियों को इसका अधिकतम लाभ पहुँचाना है। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में निम्नलिखित मुख्य घटक शामिल है:

      अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से अंतरिक्ष संचार के उपयोग, सुदूर शिक्षा, भू-संसाधन मानचित्रण/सर्वेक्षण, मौसम विज्ञान एवं भूगणित के परिणाम को निकलने की व्यवहार्यता का प्रदर्शन।

      वैज्ञानिक अनुसंधान एवं अंतरिक्ष उपयोग, परिज्ञापी रॉकेटों एवं उपग्रह प्रमोचन यानों के लिए ध्रुवकक्षी उपग्रहों की अभिकल्पना एवं विकास हेतु स्वदेशी क्षमता का विकास।

        1970 के दौरान रिस्पॉन्ड (प्रवर्तित अनुसंधान) कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ, जिसका लक्ष्य शैक्षिक जगत् को विभिन्न अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियों में भाग लेने एवं योगदान प्रदान करने हेतु प्रोत्साहित करना है। रिस्पॉन्ड के अंतर्गत, विश्वविद्यालय/शैक्षिक संस्था, अंतरिक्ष कार्यक्रम से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों के परियोजनाओं की ज़िम्मेदारी उठाते हैं। इसके अतिरिक्त, इसरो ने प्रमुख संस्थाओं, जैसे कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) – बंबई, कानपुर, खरगपुर एवं मद्रास में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी इकाईयाँ को स्थापित की है; भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलूरु एवं पूणे विश्वविद्यालय (यूओपी) के साथ संयुक्त रूप से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं उपयोग के क्षेत्र में अनुसंधान गतिविधियां आगे बढ़ाता है। यह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी इकाई (एसटीसी) एवं संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रम का पथप्रदर्शन, संयुक्त नीति समिति (जेपीसी) द्वारा किया जाता है, जिसकी अध्यक्षता संबंधित संस्थाओं के निदेशक/कुलपति तथा इसरो/अं.वि. के सदस्य (वरि. वैज्ञानिक/इंजीनियर) एवं संबंधित संस्था करते है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी इकाई (एसटीसी) के तहत परियोजनाएं संस्थाओं के संकाय लेते है।/

      रिस्पॉन्ड कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य देश के शैक्षिक संस्थाओं के साथ एक सुस्वस्थ संबंध स्थापित करना है, ताकि अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को कार्यान्वित किया जा सके, जो अंतरिक्ष के लिए अति महत्वपूर्ण एवं अनुसंधान व विकास के ऐसे उपयोगी परिणाम निकाल सके, जो इसरो कार्यक्रमों को समर्थन प्रदान करता है। रिस्पॉन्ड कार्यक्रम का उद्देश्य शैक्षिक नींव बढ़ाना, अंतरिक्ष कार्यक्रम को समर्थन प्रदान करने हेतु शैक्षिक संस्थानों में मानव संसाधन एवं आधारिक संरचना को उत्पन्न करना है। रिस्पॉन्ड की प्रधान गतिविधि, विश्वविद्यलयों/संस्थाओं को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष विज्ञान एवं उपयोगी क्षेत्रों जैसे विविध प्रकार के विषयों के अनुसंधान परियोजनाओं में समर्थन देना है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन, कार्यशालाएं एवं प्रकाशन जो अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण है, को भी समर्थन दिया जा रहा है।

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