नोदन प्रणालियाँ
|  पी एस एल वी कट सेक्शन | ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान (पी एस एल वी) के तरल चरणध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान एक 44.4 मीटर ऊँचा और 2.8 मीटर व्यास वाला प्रमोचन यान है जिसका लिफ्ट-ऑफ वजन 320 टन है। यह चार चरणों में अभिविन्यासित है; दूसरे (पी एस 2) और चौथे (पी एस 4) चरण तरल इंजनों द्वारा संचालित होते हैं।  
                             ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान (पी एस एल वी) का दूसरा चरण (पी एच 2 चरण)यह चरण एक टर्बो पंप फेड, विकिरण-शीतलीत तरल इंजन (विकास इंजन) द्वारा प्रणोदकों के रूप में डाइनाइट्रोजन टेट्रॉक्साइड (एन2ओ4) और असममित डाय-मिथाइल हाइड्राज़िन (यू डी एम एच) के साथ 25% हाइड्राज़िन हाइड्रेट (इस संयोजन को यू एच25 कहा जाता है) का उपयोग करते हुए संचालित किया जाता है। ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान उड़ान के दौरान, यह चरण 50 किमी की तुंगता पर प्रज्वलित होता है और शेष ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान चरणों और उपग्रह को बूस्ट करता है। 
 | |||||||||||||||||||
ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान का चौथा चरण (पी एस 4 चरण)
पी एस4 चरण दो समरूप दाब-फेड, पुनरुत्पादन रूप से शीतलीत, उच्च क्षमता-इंजनों का उपयोग करता है, जिनमें से प्रत्येक निर्वात में 7.35 कि. न्यू.का थ्रस्ट विकसित करता है। यह इंजन (एम एम एच) और मिश्रित नाइट्रोजन ऑक्साइड (एम ओ एन-3) के ईंधन संयोजन पर कार्य करता है और यह 425 सेकंड की अवधि के लिए जलता है।
| थ्रस्ट (निर्वात) | 7.35 x 2 कि. न्यू. |  पी एस4 चरण | 
| जलन अवधि | 333 से 526 सेकंड तक | |
| प्रणोदक | एम ओ एन-3 / एम एम एच | |
| प्रणोदक लोडिंग | 0.8 / 1.6 / 2.5 टन | |
| चरण व्यास | 2.8 मीटर | |
| चरण ऊँचाई | 3 मीटर | 
पी एस1 चरण के लिए द्वितीयक अन्तःक्षेपण थ्रस्ट सदिश नियंत्रण (एस आई टी वी सी)
पी एस1 चरण 139 टन हाइड्रॉक्सिल टर्मिनेटेड पॉली ब्यूटाडिएन (एच टी पी बी) प्रणोदक और क्षेत्र अनुपात 8 के एक मिश्रित नोज़ल सहित 2.8 मीटर व्यास का एक ठोस रॉकेट मोटर है। पी एस1 मोटर के थ्रस्ट चरण के दौरान पी एस एल वी के पिच और यॉ नियंत्रण, नोज़ल की गर्दन से निकास तक 35 प्रतिशत की लंबाई पर नोज़ल अपसारी में स्ट्रोंटियम परक्लोरेट [Sr(ClO4)2] के जलीय घोल को अन्तःक्षेपित करके प्राप्त किया जाता है।
| पी एस 1 चरण के लिए द्वितीयक अन्तःक्षेपण थ्रस्ट सदिश नियंत्रण की विशेषताएँ | ||
| प्रणोदक | स्ट्रोंटियम परर्क्लोरेट |  एस आई टी वी सी | 
| पिच और यॉ नियंत्रण के लिए पी एस1 द्वितीयक अन्तःक्षेपण थ्रस्ट सदिश नियंत्रण (24 वाल्व) | ||
| प्रवाह दर | 12 लीटर/सेकंड | |
| पार्श्व थ्रस्ट | अधिकतम 20 टन | |
| अन्तःक्षेपित्र की संख्या | 24 (6-6 के 4 चतुर्थांशों में) | |
| रोल वृद्धि के लिए पी एस 0 द्वितीयक अन्तःक्षेपण थ्रस्ट सदिश नियंत्रण | ||
| प्रवाह दर | 3.7 लीटर/सेकंड | |
| पार्श्व थ्रस्ट | 600 किलोग्राम | |
पी एस1 चरण के लिए प्रतिक्रिया नियंत्रण प्रणाली (आर सी एस)
पी एस1 के लिए आर प्रतिक्रिया नियंत्रण प्रणाली में दो स्वतंत्र तरल इंजन पैकेज शामिल हैं, जो बेस श्रोड के परिधि पर 180° के कोण पर अक्षीय रूप से स्थापित हैं। प्रतिक्रिया नियंत्रण प्रणाली को पी एस1 के कोस्टिंग चरण के दौरान नियंत्रण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
| पी एस1 प्रतिक्रिया नियंत्रण प्रणाली की विशेषताएँ | ||
| मुख्य इंजन थ्रस्ट | 640 कि.ग्रा. बल |  पी एस1 प्रतिक्रिया नियंत्रण प्रणाली | 
| ए सी एस थ्रस्टर्स | 150 कि.ग्रा. बल x 2 | |
| प्रणोदक | एम एम एच/एम ओ एन-3 | |
| व्यास | 700 मि मी | |
| लंबाई | 2.6 मीटर | |
|  जी एस एल वी | भू-तुल्यकलिक उपग्रह प्रमोचन यान 2200 किलोग्राम वर्ग के संचार उपग्रहों को भू-तुल्यकलिक स्थानांतरण कक्षा (जी टी ओ) में प्रमोचित करने में सक्षम है। यह एक तीन-चरणीय यान है। द्रव नोदन प्रणाली केंद्र चार एल 40 स्ट्रैप-ऑन चरणों, द्रव दूसरे चरण और जी एस एल वी के क्रायोजेनिक ऊपरी चरण के निर्माण और आपूर्ति के लिए उत्तरदायी है। भू-तुल्यकलिक उपग्रह प्रमोचन यान का दूसरा चरण (जी एस 2 चरण)जी एस एल वी का दूसरा चरण 42 टन की नाममात्र की प्रणोदक लोडिंग सहित पी एस एल वी के दूसरे चरण के समान है। इस चरण में उच्च थ्रस्ट विकास इंजन का उपयोग किया जाता है। | |||
| विनिर्देश: | ||||
| थ्रस्ट | 846 कि. न्यू. |  जी एस 2 चरण | ||
| जलन अवधि | 143 सेकंड | |||
| प्रणोदक | एन2ओ4 / यू एच25 | |||
| प्रणोदक लोडिंग | 42 टन | |||
| चरण व्यास | 2.8 मीटर | |||
| चरण की ऊँचाई | 12 मीटर | |||
| भू-तुल्यकलिक उपग्रह प्रमोचन यान के स्ट्रैप-ऑन चरण (एल 40 चरण) | |||
| जी एस एल वी को चार एल 40 स्ट्रैप-ऑन द्रव चरणों के साथ अभिविन्यासित किया गया है, जो पी एस 2 चरण के व्युत्पन्न हैं और प्रत्येक एक विकास इंजन का उपयोग करता है। | |||
| विनिर्देश: |  एल 40 चरण | ||
| थ्रस्ट | 762 कि. न्यू | ||
| जलन अवधि | 150 सेकंड | ||
| प्रणोदक | एन2ओ4 / यू एच 25 | ||
| प्रणोदक लोडिंग | 42 टन | ||
| चरण व्यास | 2.1 मीटर | ||
| चरण ऊँचाई | 19.6 मीटर | ||
क्रायोजेनिक अपर चरण (सी यू एस)
द्रव नोदन प्रणाली केंद्र ने रूस से खरीदे गए और जी एस एल वी की उड़ानों में प्रयुक्त चरण को प्रतिस्थापित करने के उद्देश्य से स्वदेशी क्रायोजेनिक ऊपरी चरण (सी यू एस) विकसित किया है। यह चरण एक पुनर्जनित शीतलीत क्रायोजेनिक इंजन द्वारा संचालित होता है, जो चरणबद्ध दहन चक्र पर काम करती है। मुख्य क्रायो इंजन और दो छोटे (क्रायोजेनिक) स्टीयरिंग इंजन संयुक्त रूप से निर्वात में 73.6 कि. न्यू.का थ्रस्ट विकसित करते हैं।
|  सी यू एस चरण | क्रायो चरण प्रणालियों में अवरोधित प्रणोदक टैंक, बूस्टर पंप, अंतर-चरण संरचनाएं, भराव एवं निकास प्रणालियाँ, दाबन प्रणालियाँ, गैस बोतलें, कमांड ब्लॉक, प्रज्वाल, पाइरो वाल्व एवं शीतल गैस अभिविन्यास एवं स्थायीकरण प्रणालियाँ शामिल होती हैं।
                             | |||||
| विनिर्देश: | ||||||
| थ्रस्ट | 73.60 कि. न्यू. | |||||
| जलन अवधि | 720 सेकंड | |||||
| प्रणोदक | एल एच 2 / लॉक्स | |||||
| प्रणोदक लोडिंग | 12.5 टन | |||||
| चरण व्यास | 2.8 मीटर | |||||
| चरण ऊँचाई | 9.85 मीटर | |||||
|  प्रमोचन यान मार्क 3 | इसरो द्वारा विकसित नई पीढ़ी का प्रमोचन यान 4000 किलोग्राम वर्ग के उपग्रहों को भू-स्थानांतरण कक्षा में (जी टी ओ) में स्थापित कर सकता है। द्रव नोदन प्रणाली केंद्र भू-संग्रहणीय द्रव कोर चरण (एल 110 चरण) और एक शक्तिशाली क्रायोजेनिक ऊपरी चरण (सी 25 चरण) के डिजाइन, विकास और निर्माण के लिए उत्तरदायी है। एल 110 चरणएल 110 स्टेज इसरो द्वारा निर्मित सबसे बड़ा द्रव चरण है। यह जी एस एल वी मार्क- III का कोर चरण है, जो उड़ान के दौरान 194 सेकंड की जलन-अवधि के लिए कुल 1692 कि. न्यू. थ्रस्ट उत्पन्न करने के लिए दो उच्च थ्रस्ट विकास इंजनों का उपयोग करता है। चरण की उपप्रणालियों में दाबन मॉड्यूल, कमांड प्रणाली मॉड्यूल, दूरस्थ भराई और निकासी प्रणाली, सिट ऑन गर्भनाल प्रणाली आदि शामिल हैं। विकास चरण के गर्म परीक्षण सफलतापूर्वक 200 सेकंड के लिए किए गए। उड़ान चरण को प्रयोगात्मक मिशन (एल वी एम3-एक्स मिशन), 2 विकास उड़ान मिशनों (डी1 और डी2) और संचालन उड़ान मिशनों (एम1 से एम4) में सफलतापूर्वक उड़ाया गया। | |||||
| विनिर्देश: | ||||||
| इंजनों की संख्या | 2 विकास इंजन |  एल 110 चरण | ||||
| थ्रस्ट | 1692 कि. न्यू. | |||||
| जलन अवधि | 194 सेकंड | |||||
| प्रणोदक | एन2ओ4 / यू एच 25 | |||||
| प्रणोदक लोडिंग | 110 टन | |||||
| चरण व्यास | 4 मीटर | |||||
| चरण की ऊँचाई | 21.26 मीटर | |||||
सी 25 चरण
सी 25 चरण 4000 किलोग्राम वर्ग के उपग्रह के लिए भू-स्थानांतरण कक्षा प्राप्त करने के लिए आवश्यक वेग का 50% प्रदान करती है। सी 25 चरण प्रणोदक संयोजन के रूप में द्रव ऑक्सीजन और द्रव हाइड्रोजन का उपयोग करता है। लगभग 28000 किलोग्राम प्रणोदकों को टैंकों में संग्रहीत किया जाता है और इसे पंप फेड इंजन (सी ई 20) में समेकित किया जाता है, जो निर्वात में 186 kN का थ्रस्ट विकसित करता है।
|  सी 25 चरण | सी 25 स्टेज सी ई 20 इंजन पुनर्जनित शीतलित थ्रस्ट चेंबर में उच्च दाब प्रणोदकों की आपूर्ति करनेवाले स्वतंत्र टर्बो पंप का उपयोग करता है। पंपों से प्रणोदकों की अल्प मात्रा गैस जनित्र में प्रविष्ट की जाती है, जहाँ प्रणोदक प्रज्वलित किए जाते हैं और उत्पन्न गर्म गैसों का उपयोग टरबाइन चलाने के लिए किया जाता है। चरण प्रणालियों में प्रणोदक टैंक, संरचनाएँ, प्रवाह नियंत्रण घटक, फीड लाइनें, मिश्रण अनुपात नियंत्रण, पोगो नियंत्रण, इंजन गिंबल नियंत्रण आदि शामिल हैं। इंजनों का गर्म परीक्षण जमीन पर किया गया, जिसमें उच्च तुंगता की स्थिति का अनुकरण शामिल था। | |||||
| विनिर्देश: | ||||||
| थ्रस्ट | 186 कि. न्यू. | |||||
| जलन की अवधि | 640 सेकंड | |||||
| प्रणोदक | लॉक्स / एल एच 2 | |||||
| प्रणोदक लोडिंग | 28 टन | |||||
| चरण व्यास | 4.0 मीटर | |||||
| चरण ऊँचाई | 13.5 मीटर | |||||
सी 32 चरण
द्रव नोदन प्रणाली केंद्र ने उच्च थ्रस्ट (22 टन) क्रायोजेनिक इंजन और उच्च प्रणोदक लोडिंग (32 टन) के साथ क्रायोजेनिक चरण के विकास और निर्माण का बीड़ा उठाया है। सी 32 स्टेज के संचालन के साथ, सेमी-क्रायोजेनिक एस सी 120 चरण के साथ मिलकर, प्रमोचन यान मार्क3 5 टन वर्ग के उपग्रह को भू-स्थानांतरण कक्षा में स्थापित कर सकता है। सी 32 चरण प्रणालियों की अभिकल्पना, विश्लेषण और हार्डवेयर निर्माण पूरा हो चुका है और विकास परीक्षण उन्नत चरण में हैं।
|  | 
|  एल एच 2 टैंक (इसरो में निर्मित सबसे बड़ा टैंक - 89 एम³) |  लॉक्स टैंक | 
|  लघु उपग्रह प्रमोचन यान | लघु उपग्रह प्रमोचन यान लगभग 500 किलोग्राम के उपग्रह को 500 किमी की समतल कक्षा में पहले प्रमोचन पैड, एस डी एस सी/शार से प्रमोचन करने में सक्षम एक तीन चरण वाला प्रमोचन यान है। लघु उपग्रह प्रमोचन यान को तीन ठोस नोदन चरणों और उपग्रह के सटीक इंजेक्शन के लिए अंतिम चरण के रूप में द्रव नोदन-आधारित वेग मंदन मॉड्यूल (वी टी एम) के साथ अभिविन्यासित है। यह यान कम लागत पर अंतरिक्ष में प्रवेश प्रदान करता है, कई कई उपग्रहों को समायोजित करने में कम टर्न-अराउंड समय और नम्यता प्रदान करता है और इसके लिए न्यूनतम प्रमोचन अवसंरचना की आवश्यकता होती है। लगभग 120 टन के लिफ्ट-ऑफ वजन के साथ लघु उपग्रह प्रमोचन यान का व्यास 2 मीटर और लंबाई 34 मीटर है। 
                             | |
|  लघु उपग्रह प्रमोचन यान वेग मंदन मॉड्यूल | एस एस एल वी के लिए 50 न्यूटन थ्रस्टर | |
द्रव नोदन प्रणाली केंद्र भारत के जियोसैट, सुदूर संवेदन और वैज्ञानिक उपग्रहों के लिए नोदन प्रणालियों का विकास करता है।
भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (इनसैट/जीसैट)
भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (इनसैट) उपयोग दूरसंचार, टेलीविजन प्रसारण, मौसम विज्ञान, आपदा चेतावनी और खोज एवं बचाव के लिए एक बहुउद्देशीय उपग्रह प्रणाली है। इनसैट का व्यापक उपयोग संवादमूलक शिक्षा, टेलीमेडिसिन, मौसम संबंधी बिंबन और सामुदायिक सीधे प्रसारण के लिए किया जाता है।
|  |  |  | 
| इनसैट श्रृंखला के उपग्रह | ||
इनसैट/जीसैट नोदन प्रणाली
इनसैट श्रृंखला के उपग्रहों को कक्षा विस्तार और स्टेशन कीपिंग दोनों के लिए थ्रस्टरों की आवश्यकता होती है। द्रव नोदन प्रणाली केंद्र ने जियोसैट अंतरिक्ष यानों के लिए द्वि-प्रणोदक नोदन प्रणाली विकसित की है और इसकी आपूर्ति की है। नोदन प्रणाली में दो वर्गों के द्वि-प्रणोदक थ्रस्टर्स शामिल हैं – एक कक्षा विस्तार के लिए द्रव अपोजी मोटर (एल ए एम) और स्टेशन कीपिंग के लिए सोलह अभिवृत्ति और कक्षा नियंत्रण प्रणाली (ए ओ सी एस)। एम ओ एन-3 और एम एम एच प्रणोदक संयोजन का उपयोग किया जाता है और इनमें स्वतंत्र टैंक से दाब भरे जाते हैं।
                            
                           द्रव अपोजी मोटर का उपयोग उपग्रह की कक्षा को अत्यधिक अंडाकार भू-स्थानांतरण कक्षा (200 x 36000 किमी) से भू-स्थैतिक कक्षा (36000 किमी गोल) में उठाने के लिए किया जाता है।
                            
| द्रव अपोजी मोटर के विनिर्देशन : | |||
| थ्रस्ट (निर्वात) | 440 न्यूटन | ||
| प्रणोदक | एम ओ एन-3/एम एम एच | ||
| विशिष्ट आवेग | 315 सेकंड (ए आर:160) और 319 सेकंड (ए आर:250) | ||
| इंजन द्रव्यमान | 4.5 किलोग्राम (ए आर:160) और 6.0 किलोग्राम (ए आर:250) | ||
|  10 न्यूटन थ्रस्टर |  22 न्यूटन थ्रस्टर |  440 न्यूटन द्रव अपोजी मोटर इंजन | 
| द्वि-प्रणोदक अभिवृत्ति एवं नियंत्रण प्रणाली थ्रस्टर के विनिर्देशन | |||
| थ्रस्ट (वैक्यूम) | 22/10 न्यूटन | ||
| प्रणोदक | एम ओ एन-3 / एम एम एच | ||
| विशिष्ट आवेग | 285 सेकंड | ||
| इंजन द्रव्यमान | 1 किलोग्राम | ||
इसके अतिरिक्त, द्रव नोदन प्रणाली केंद्र प्रमोचन के लिए प्रणोदक सर्विसिंग और अंतरिक्ष यान के कक्षा-स्थित प्रचलन के दौरान सहयोग प्रदान करता है।
भारतीय उपग्रह-समूह के साथ नौसंचालन (नाविक)
देश की स्थिति, नेविगेशन और समय निर्धारण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, इसरो ने एक क्षेत्रीय नौसंचालन उपग्रह प्रणाली स्थापित की है, जिसे भारतीय उपग्रह-समूह के साथ नौसंचालन (नाविक) कहा जाता है। पहले भारतीय क्षेत्रीय नौसंचालन उपग्रह प्रणाली (आई आर एन एस एस) के नाम से जाना जाने वाला नाविक, 7 उपग्रहों के समूह और 24x7 संचालित करने वाले भू केंद्रों के नेटवर्क के साथ अभिकल्पित है। समूह के तीन उपग्रह भू-स्थैतिक कक्षा में क्रमशः 32.5°पूर्व, 83° पूर्व और 129.5° पूर्व पर स्थापित हैं, और चार उपग्रह अभिनत भू-तुल्यकालिक कक्षा में 55° पूर्व और 111.75° पूर्व के भूमध्यरेखीय क्रॉसिंग पर 29°के झुकाव पर स्थापित है (प्रत्येक सतह में दो उपग्रह)।
|  |  | 
नाविक नोदन प्रणाली
नाविक उपग्रहों की नोदन प्रणाली में कक्षा विस्तार के लिए द्रव एपोजी मोटर (एल ए एम) इंजन और स्टेशन कीपिंग के लिए 12 की संख्या में 22 न्यूटन द्वि-प्रणोदक ए ओ सी एस थ्रस्टर्स के साथ ही संबंधित प्रणोदक टैंकें, फीडलाइनें, गैस बोतलें और प्रवाह नियंत्रण घटकें शामिल हैं। एक श्रृंखला में छह 22 न्यूटन ए ओ सी एस थ्रस्टर, व्यतिरेक के रूप में दूसरी श्रृंखला में संगत अभिविन्यास के साथ सम्मिलित किए गए हैं।
|  10 न्यूटन थ्रस्टर |  22 न्यूटन थ्रस्टर |  440 न्यूटन द्रव एपोजी मोटर इंजन | 
इसके अतिरिक्त, द्रव नोदन प्रणाली केंद्र प्रमोशन के लिए प्रणोदक सर्विसिंग और अंतरिक्ष यान प्रणोदन प्रणालियों की कक्षा में प्रचालन के लिए सहयोग प्रदान करता है।
थ्वी अवलोकन उपग्रह (ई ओ एस): भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह प्रणाली (आई आर एस)
भारतीय सुदूर संवेदन प्रणाली विभिन्न स्पेक्ट्रल बैंड, स्थानिक विभेदन और स्वाथ में अंतरिक्ष आधारित आंकड़े प्रदान करती है। आंकड़ों का उपयोग कृषि, जल संसाधन, शहरी विकास, खनिज आकलन, पर्यावरण, वन, सूखे और बाढ़ पूर्वानुमान, समुद्री संसाधन और आपदा प्रबंधन-जैसे कई अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है।
|  भारतीय सुदूर संवेदन नोदन प्रणाली |  भारतीय सुदूर संवेदन श्रेणी के उपग्रह | 
भारतीय नोदन प्रणाली
| भारतीय सुदूर संवेदन श्रृंखला के उपग्रहों के लिए द्रव नोदन प्रणाली केंद्र एकल-प्रणोदक नोदन प्रणालियां प्रदान करता है। भारतीय सुदूर संवेदन नोदन पैकेज में छोटे कक्षा सुधारों और स्टेशन कीपिंग/अवस्थिति नियंत्रण के लिए दो प्रकार के एकल-प्रणोदक उत्प्रेरक थ्रस्टर्स शामिल होते हैं, साथ ही संबंधित प्रणोदक टैंकें, फीडलाइनें और प्रवाह नियंत्रण घटकों होती हैं। एक श्रृंखला में बारह AOCS थ्रस्टर होते हैं, जिसमें चार 1 N के और दो 11 N के थ्रस्टर होते हैं, और दूसरी श्रृंखला में संगत अभिविन्यास के साथ व्यतिरेक होते हैं। |  11 न्यूटन थ्रस्टर |  1 न्यूटन थ्रस्टर | 
| एकल-प्रणोदक थ्रस्टर – 11 न्यूटन (प्रत्येक उड़ान पर 4 संख्या) | |||
| थ्रस्ट | 11 न्यूटन | ||
| विशिष्ट आवेग | 220 सेकंड | ||
| प्रणोदक | एन2एच4 | ||
| वजन | <500 ग्राम | ||
| ए ओ सी एस एकल-प्रणोदक थ्रस्टर – 1 न्यूटन (प्रति उड़ान 8 की संख्या में) | |||
| थ्रस्ट | 1 न्यूटन | ||
| विशिष्ट इंपल्स | 220 सेकंड | ||
| प्रणोदक | एन2एच4 | ||
| द्रव्यमान | <225 ग्राम | ||
इसके अतिरिक्त, द्रव नोदन प्रणाली केंद्र प्रमोचन के लिए प्रणोदक सर्विसिंग और अंतरिक्ष यान प्रणोदन प्रणालियों की कक्षा में संचालन के लिए सहयोग प्रदान करता है।
|  चंद्रयान-1 | इसरो खगोलशास्त्र, खगोल भौतिकी, ग्रह एवं पृथ्वी विज्ञान, वायुमंडलीय विज्ञान और सैद्धांतिक भौतिकी-जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए वैज्ञानिक मिशनों का संचालन करता है। महत्त्वपूर्ण मिशनों के कौशलपूर्ण संचालन के लिए अत्याधुनिक नोदन प्रणालियां प्रदान करने वाला द्रव नोदन प्रणाली केंद्र (एल पी एस सी) इसरो के प्रमुख अभियानों की सफलता की अभिन्न कड़ी है। नोदन प्रणालियो के विकास में विशेषज्ञता रखते हुए, द्रव नोदन प्रणाली केंद्र इंजनों और चरणों की अभिकल्पना, इनका विकास और परीक्षण करता है, जो प्रमोचन यानों और अंतरिक्ष यानों को शक्ति प्रदान करते हैं। चंद्रयान-1, 2 और 3, मंगलयान, और आदित्य एल 1-जैसे अभियानों में, द्रव नोदन प्रणाली केंद्र की नोदन प्रणालियों ने सटीक कक्षा प्रवेशों, स्थिति नियंत्रण और प्रपथ संशोधनों को सक्षम बनाया। केंद्र की क्रायोजेनिक इंजनो, द्वि-प्रणोदक इंजनों और विद्युत नोदन में प्रगतियां, इसरो की अंतरग्रहीय मिशनों और सतत अन्वेषण को संचालित करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण है, जो भारत के अंतरिक्ष प्रयासों आगे बढ़ाने में द्रव नोदन प्रणाली केंद्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका को प्रतिबिंबित करता है। चंद्रयान-1 मिशन:चंद्रयान-1, चंद्रमा के लिए भारत का पहला मिशन, 22 अक्टूबर, 2008 को पी एस एल वी सी11 द्वारा सफलतापूर्वक प्रमोचित किया गया। अंतरिक्ष यान चंद्रमा के चारों ओर इसकी सतह से 100 किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा की रासायनिक, खनिज-विज्ञान संबंधी एवं प्रकाश-भूगर्भ-वैज्ञानिक मानचित्रण के उद्देश्य से चक्कर लगाया। | |||
|  चंद्रयान-1 की कक्षा में परिवर्तन | ||||
|  पी एस एल वी सी 11 | द्रव नोदन प्रणाली केंद्र से प्रमुख योगदान : | ||
| द्रव नोदन प्रणाली से प्रमुख योगदान: पी एस एल सी11 ने चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान को 22,860 किमी की अपोजी और 255 किमी की पेरिजी के साथ भू स्थैतिक स्थानांतरण कक्षा (जी टी ओ) में सटीकता से स्थापित किया। द्रव नोदन प्रणाली केंद्र ने पी एस एल वी सी11 के लिए पी एस 2 और पी एस 4 चरण और पांच नियंत्रण शक्ति संयंत्र (पी एस1 आर सी एस x 2, पी एस1 एस टी वी सी, पी एस0 एस आई टी वी सी x 2) प्रदान किए। उपर्युक्त सुपुर्दगियों के विवरण इस प्रकार हैं: 
 | |||
| नियंत्रण शक्ति संयंत्र पी एस 1 चरण के दौरान यान के आवश्यक नियंत्रण (जैसे, पिच, यॉ और रोल) के नियंत्रण के लिए आवश्यक नियंत्रण प्रदान करते हैं। इस मिशन में दो रोल नियंत्रण प्रणाली पैकेज, दो स्ट्रैप ऑन एस आई टी वी सी (पार्श्व अंतःक्षेपण थ्रस्ट सदिश नियंत्रण)प्रणालियों और एक पी एस 1 एस आई टी वी सी (पार्श्व अंतःक्षेपण थ्रस्ट सदिश नियंत्रण)प्रणाली का उपयोग किया गया। | |||
| द्रव नोदन प्रणाली केंद्र ने चंद्रयान-1 के लिए आठ 22 न्यूटन ए ओ सी एस थ्रस्टर्स और एक द्रव अपोजी मोटर इंजन का द्वि-प्रणोदक नोदन प्रणाली प्रदान की और उसे एकीकृत किया। द्रव अपोजी मोटर को इस मिशन में कुल 4589 सेकंड के लिए सफलतापूर्वक दस बार जलाया गया। | |||
|  मंगल कक्षित्र मिशन | मंगल ऑर्बिटर मिशन (मॉम) :मंगल ऑर्बिटर मिशन (मॉम), मंगल ग्रह के लिए भारत का पहला अंतरग्रहीय मिशन, 5 नवंबर 2013 को पी एस एल वी सी25 के माध्यम से प्रमोचित किया गया। इसरो मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान भेजने वाली चौथी अंतरिक्ष एजेंसी बन गई है। | ||||
|  पी एस एल वी सी 25 | पी एस एल वी सी25 ने मंगल कक्षित्र मिशन अंतरिक्ष यान को एक अत्यधिक अंडाकार पृथ्वी की कक्षा में सटीक रूप से स्थापित किया, जिसमें पेरिजी (पृथ्वी का निकटतम बिंदु) 250 किमी और अपोजी (पृथ्वी से सबसे दूर का बिंदु) 23,500 किमी था और यह कक्षा भूमध्य रेखा के सापेक्ष 19.2 डिग्री का झुकाव रखती थी। द्रव नोदन प्रणाली केंद्र ने पी एस एल वी सी 25 के लिए पी एस 2 और पी एस 4 चरण और पांच नियंत्रण शक्ति संयंत्र (पी एस1 आर सी एस x 2, पी एस1 एस आई टी वी सी, पी एस0 एस आई टी वी सी x 2) प्रदान किए। उपर्युक्त प्रदायियों के विवरण इस प्रकार है : | |||
| 
 | ||||
| नियंत्रण शक्ति संयंत्र पी एस1 चरण के दौरान यान के नियंत्रण (जैसे कि पिच, यॉ एवं रोल) के लिए आवश्यक नियंत्रण प्रदान करते हैं। इस मिशन में दो रोल नियंत्रण प्रणाली पैकेजों, दो स्ट्रैप ऑन एस आई टी वी सी (पार्श्व अंतःक्षेपण थ्रस्ट सदिश नियंत्रण) प्रणालियों एवं एक पी एस1 एस आई टी वी सी प्रणाली का उपयोग किया गया। | ||||
मंगल कक्षित्र मिशन (मॉम) के लिए आठ 22 न्यूटन ए ओ सी एस थ्रस्टर की द्वि-प्रणोदक नोदन प्रणाली और एक द्रव अपोजी मोटर (एल ए एम) इंजन द्रव नोदन प्रणाली केंद्र द्वारा प्रदान किया गया और इन्हें समेकित किया गया।
मॉम अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी की कक्षा में लगभग एक महीने बिताया, जहाँ उसने 30 नवंबर 2013 को ट्रांस-मंगल अंतःक्षेपण से पहले एल ए एम इंजन का उपयोग करके अपोजी-विस्तार के लिए सात कक्षीय संचालनों की श्रृंखला निष्पादित की। मंगल तक पहुँचने के लिए 298 दिन की यात्रा के बाद, इसे 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में पहुँचाया गया। इस मिशन में 295 दिन के शीतनिद्रा के बाद एल ए एम इंजन को प्रज्वलित किया गया।
| एस्ट्रोसैट मिशन:एस्ट्रोसैट भारत का पहला समर्पित अंतरिक्ष खगोल विज्ञान अवलोकन केंद्र है, जिसे पी एस एल वी-सी30 (एक्स एल) द्वारा प्रमोचित किया गया। इसमें पाँच वैज्ञानिक नीतभार हैं, जो एक सामान्य प्लेटफॉर्म पर विस्तृत तरंगदैर्ध्य की एक विस्तृत श्रृंखला में आकाशगांगेय एवं परा-आकाशगांगेय ब्रह्मांडीय अस्थायी और वर्णक्रमीय गुणों का विंबन और अध्ययन सक्षम बनाते हैं। | |
|  एस्ट्रोसैट |  एस्ट्रोसैट के लिए 11 न्यूटन एकल-प्रणोदक थ्रस्टर | 
| द्रव नोदन प्रणाली केंद्र से प्रमुख योगदान : | |||||
|  पी एस एल वी सी 30 | 
 
 | ||||
| नियंत्रण शक्ति संयंत्र पी एस1 चरण के दौरान यान के आवश्यक नियंत्रण (जैसे - पिच, यॉ और रोल) प्रदान करते हैं। इस मिशन में दो रोल नियंत्रण प्रणाली पैकेजों, दो स्ट्रैप ऑन एस आई टी वी सी (पार्श्व अंतःक्षेपण थ्रस्ट सदिश नियंत्रण) प्रणालियों और एक पी एस1 एस आई टी वी सी प्रणाली का उपयोग किया गया। | |||||
| एस्ट्रोसैट अंतरिक्ष यान के लिए आठ 11 न्यूटन एकल-प्रणोदक ए ओ सी एस थ्रस्टर आधारित नोदन प्रणाली द्रव नोदन प्रणाली केंद्र द्वारा प्रदान किया गया और इन्हें समेकित किया गया। | |||||
| चंद्रयान-2 मिशन :22 जुलाई 2019 को भारत का भूतुल्यकालिक उपग्रह प्रमोचन यान, जी एस एल वी मार्कIII-एम1 ने चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को 169.7 किमी की पेरिजी और 45,475 किमी की अपोजी के साथ नियोजित कक्षा में सफलतापूर्वक प्रमोचित किया। यह मिशन एक अत्यधिक जटिल मिशन था, जो इसरो के पिछले मिशनों की तुलना में एक महत्त्वपूर्ण तकनीकी छलाँग प्रदर्शित करता है और जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की खोज करने के उद्देश्य से एक ऑर्बिटर, लैंडर एवं रोवर को एक साथ लाया। | |||||
| द्रव नोदन प्रणाली केंद्र से प्रमुख योगदान : | ||||
|  एल वी एम3-एम1 | 
 | |||
|  चंद्रयान-2 | चंद्रयान-2 मिशन एक अत्यधिक जटिल मिशन है, जो इसरो के पिछले अभियानों की तुलना में एक महत्त्वपूर्ण तकनीकी छलांग प्रदर्शित करता है। चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी ध्रुव की खोज के उद्देश्य से यह एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर से बना है। चंद्रयान-2 के अंतःक्षेपण के बाद, इसके कक्षा का विस्तार करने के लिए कई कौशलपूर्ण प्रचालन किए गए और 14 अगस्त, 2019 को ट्रांस लूनर प्रविष्टि (टी एल आई) कौशलपूर्ण प्रचालन के बाद, यह अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमण से पलायन कर गया और उस पथ का अनुसरण किया जो इसे चंद्रमा के निकट ले गया। 20 अगस्त, 2019 को चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रविष्ट कराया गया। 100 किमी की चंद्र ध्रुवीय कक्षा में परिक्रमा करते हुए, 2 सितंबर, 2019 को अवतरण की तैयारी में विक्रम लैंडर को ऑर्बिटर से अलग किया गया। इसके बाद, विक्रम लैंडर की कक्षा को बदलने और चंद्रमा के चारों ओर 100 किमी x 35 किमी की कक्षा में चक्कर लगवाने के लिए दो कौशलपूर्ण डि-ऑर्बिट प्रचालन किए गए। विक्रम लैंडर का अवतरण योजना के अनुसार हुआ और 2.1 किमी की तुंगता तक सामान्य प्रदर्शन देखा गया। इसके बाद लैंडर से ग्राउंड स्टेशनों के साथ संपर्क टूट गया। | |||
|  चंद्रयान-2 के कक्षा परिवर्तन |  चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 के लिए 58 न्यूटन के थ्रस्टर |  440 न्यूटन का द्रव अपोजी इंजन |  800 न्यूटन का इंजन | 
|  थ्रॉटल योग्य इंजन प्रवाह नियंत्रण वाल्व (टी एफ सी वी) |  थ्रॉटल योग्य इंजन नियंत्रण इलेक्ट्रॉनिक मॉड्यूल (टी ई सी ई एम) | 
चंद्रयान-3 मिशन:
एल वी एम3-एम 4 प्रमोचक से अपनी यात्रा पर निकला इसरो का तीसरा चंद्र अन्वेषण मिशन, चंद्रयान-3 विक्रम लैंडर के साथ चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक मृदु अवतरण किया, जिसके बाद, चंद्रमा के चुनौतीपूर्ण सतह पर रोवर की गतिशीलता का प्रदर्शन किया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मृदु अवतरण करने वाला पहला देश बना दिया।
                              चन्द्र-सतह पर विभिन्न प्रयोग करने के लिए लैंडर, रोवर और नोदन मॉड्यूल में विभिन्न वैज्ञानिक नीतभार शामिल हैं।
                            
|  एल110 चरण | इसके अतिरिक्त, विक्रम लैंडर ने एक छलांग प्रयोग किया। आदेश मिलने पर, इसने इंजनों को चालू किया, अपने-आप को लगभग 40 सेमी की ऊँचाई तक उठाया और 30-40 सेमी की दूरी पर सुरक्षित लैंड किया। एक अन्य विशिष्ट प्रयोग में, चंद्रयान-3 का नोदन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी की कक्षा में स्थानांतरित किया गया। | ||||
- एल 110 चरण: एल वी एम 3-एम 4 के लिए कोर द्रव चरण द्रव नोदन प्रणाली केंद्र द्वारा अभिकल्पित , विकसित और निर्मित किया गया। यह चरण लगभग 114 टन भू-भंडारणीय प्रणोदकों (एन2ओ4 और यू एच25) से भारित है और जुड़वें विकास इंजनों द्वारा संचालित होता है।
- सी 25 चरण:एल वी एम 3 का अंतिम चरण भी द्रव नोदन प्रणाली केंद्र द्वारा अभिकल्पित, विकसित और निर्मित किया गया। इस चरण में 28.5 टन क्रायोजेनिक प्रणोदक, यानी द्रव हाइड्रोजन और द्रव ऑक्सीजन भरे गए हैं, जो प्रणोदक टैंक में क्रमशः 77.2 K और 20.8 K के तापमानों पर संग्रहीत हैं।
- तरल नियंत्रण घटक: एस 200 ठोस चरण की फ्लेक्स नोज़ल नियंत्रण (एफ एन सी) प्रणाली के लिए तरल नियंत्रण घटक एवं मॉड्यूल और एस 200 एफ एन सी प्रणाली की सर्विसिंग के लिए प्रयुक्त सिट-ऑन गर्भनाल द्रव नोदन प्रणाली केंद्र द्वारा अभिकल्पित और निर्मित हैं।
- नोदन मॉड्यूल: चंद्रयान-3 नोदन मॉड्यूल में एक 440 न्यूटन के द्रव अपोजी मोटर इंजन और आठ 22 न्यूटन के थ्रस्टरों को द्रव नोदन प्रणाली केंद्र द्वारा लगभग 1.7 टन प्रणोदकों (एम ओ एन-3 और एम एम एच) की क्षमता वाले दो 780 लीटर के टाइटेनियम मिश्र धातु के प्रणोदक टैंकों के साथ अभिविन्यासित किया गया।
- लैंडर के लिए प्रोपल्शन सिस्टम:द्रव नोदन प्रणाली केंद्र ने लैंडर के लिए 800 न्यूटन थ्रॉटल योग्य इंजन (360 न्यूटन तक थ्रॉटलिंग क्षमता के साथ), 58 न्यूटन के आठ थ्रस्टर और 470 लीटर के दो प्रणोदक टैंक (1.04 टन एम ओ एन-3 और एम एम एच प्रणोदक के साथ) विकसित किए है।
- चंद्रमा की 100 किमी की कक्षा में पहुँचने के लिए 10 द्रव अपोजी मोटर इंजन कौशलपूर्ण प्रचालन (5 पृथ्वी-उन्मुख जलन, 1 ट्रांस-लूनर अंतःक्षेपण, 1 लूनर ऑर्बिट इंजेक्शन और 3 लूनर उन्मुख जलन), 2 ए ओ सी एस कौशलपूर्ण प्रचालन और ए ओ सी एस के साथ 1 प्रपथ संशोधन कौशलपूर्ण प्रचालन निष्पादित किए गए। ए ओ सी एस ने अलगाव तक कुल 5172 सेकंड के लिए फायर किया।
- डि-बूस्ट और पावर अवरोहण में लैंडर नोदन प्रणाली का कार्य-प्रदर्शन 23 अगस्त, 2023 को लैंडर की चन्द्र-सतह पर सटीक मृदु अवतरण सक्षम बनाया। मृदु अवतरण के बाद, रोवर लैंडर से नीचे उतरा और लगभग 100 मीटर दूर गया और महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोग किए। इसके बाद, 3 सितंबर को, दो 800N के इंजनों (700N थ्रस्ट स्तर) का उपयोग करके एक हॉपिंग प्रयोग सफलतापूर्वक किया गया और लैंडर लगभग 40 से 45 सेमी दूर उठा और चला गया।
|  सी 25 चरण | |||
|  लैंडर के साथ नोदन मॉड्यूल |  चंद्रयान – 2 एवं चंद्रयान-3 के लिए 58 न्यूटन के थ्रस्टर |  440 न्यूटन के द्रव अपोजी मोटर इंजन |  800 न्यूटन का इंजन | 
थ्रॉटल योग्य इंजन प्रवाह नियंत्रण वाल्व (टी एफ सी वी) और थ्रॉटल योग्य इंजन नियंत्रण इलेक्ट्रॉनिक मॉड्यूल (टी ई सी ई एम) लैंडर नोदन प्रणाली सहित लैंडर नोदन प्रणाली, द्रव नोदन प्रणाली केंद्र द्वारा परिकल्पित, अभिकल्पित और विकसित की गई। टी एफ सी वी और टी ई सी ई एम सहित इंजनों के व्यापक परीक्षण स्वतंत्र रूप से और एकीकृत मोड में किए गए। नोदन मॉड्यूल के लिए नोदन प्रणाली में अंतरिक्ष यान प्रणोदन प्रणाली की विरासत है।
|  टी एफ सी वी |  टी ई सी ई एम | 
|  चंद्रयान-3 की कक्षा में परिवर्तन |  चंद्रयान 3 आई एच टी एम गतिक परीक्षण | 
आदित्य-एल1 मिशन:
आदित्य एल1 मिशन ने अंतरिक्ष यान को सूर्य-धरती प्रणाली के लैग्रेंजीयन बिंदु 1 (एल 1) के चारों ओर एक प्रभामण्डल कक्षा में स्थापित किया, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है। नीतभारों का लक्ष्य विद्युत चुम्बकीय एवं कण व चुम्बकीय क्षेत्र संसूचकों का उपयोग कर सूर्य के प्रकाशमण्डल, वर्णमण्डल और बाहरी परतों (कोरोना) का अवलोकन करना है। अंतरिक्ष यान में सूर्य के क्रमबद्ध अध्ययन के लिए सात वैज्ञानिक नीतभार हैं।
|  आदित्य एल1 कक्षा परिवर्तन | 
पी एस एल वी सी57 ने 02.09.2023 को आदित्य-एल1 उपग्रह को इसके इच्छित कक्षा 239.2 किमी x 19520 किमी में सही ढँग से स्थापित किया। द्रव नोदन प्रणाली केंद्र ने पी एस एल वी सी57 के लिए पी एस2 और पी एस4 चरण और पांच नियंत्रण शक्ति संयंत्र (पी एस1 आर सी एस x 2, पी एल1 एस आई टी वी सी, पी एस0 एस आई टी वी सी x 2) प्रदान किए। उपरोक्त आपूर्तियों के विवरण इस प्रकार है :
- पी एस 2 चरण: यह चरण 80 टन का थ्रस्ट उत्पन्न करने वाले विकास इंजन द्वारा संचालित होता है और इसमें 42 टन की प्रणोदक लोडिंग है। पी एस 2 चरण इस मिशन में लगभग 150 सेकंड तक प्रचालित हुआ।
- पी एस 4 चरण:यह दो पी एस 4 इंजनों द्वारा (प्रत्येक 0.73 टन थ्रस्ट और 2.5 टन प्रोपेलेंट लोडिंग के साथ) संचालित है। चरण में पुनः प्रारंभ होने की क्षमता थी और यह पहले जलन में 27.86 सेकंड और दूसरे जलन में 471.5 सेकंड प्रचालित हुआ। चरण में जलनों के बीच 1640 सेकंड की लंबी कोस्टिंग अवधि थी।
|  पी एस एल वी सी 57 |  पी एस2 चरण | 
 | ||||
पी एस एल वी सी57 के लिए तरल नोदन प्रणाली केंद्र की प्रमुख सुपुर्दगियाँ
                           
                                नियंत्रण शक्ति संयंत्र पी एस 1 चरण के दौरान यान के नियंत्रण (जैसे पिच, यॉ और रोल) के लिए आवश्यक नियंत्रण प्रदान करते हैं। इस मिशन में दो रोल नियंत्रण प्रणाली पैकेजों, 2 स्ट्रैप ऑन पार्श्व अंतःक्षेपण थ्रस्ट सदिश नियंत्रण (एस आई टी वी सी) प्रणालियों और एक पी एस 1 पार्श्व अंतःक्षेपण थ्रस्ट सदिश नियंत्रण (एस आई टी वी सी) प्रणाली का उपयोग किया गया।
                            
| 
 | ||
|  द्रव अपोजी मोटर इंजन |  22 न्यूटन के ए ओ सी एस थ्रस्टर |  10 न्यूटन के ए ओ सी एस थ्रस्टर | 
| 
 | ||
एक्स-किरण ध्रुवापी उपग्रह (एक्सपोसैट)
                                एक्सपोसैट(एक्स-किरण ध्रुवमापी उपग्रह) खगोलीय स्रोतों से एक्स-किरण उत्सर्जन के अंतरिक्ष-आधारित ध्रुवण मापनों में शोध करने के लिए इसरो का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है। उपग्रह का अभिविन्यास आई एम एस-2 बस प्लेटफॉर्म से संशोधित किया गया है। मेनफ्रेम प्रणालियों का अभिविन्यास भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रहों की परंपरा पर आधारित है। इसमें दो नीतभार हैं, यानी पोलिक्स (एक्स-किरणों में ध्रुवमापी उपकरणों) और एक्सस्पेक्ट (एक्स-किरण स्पेक्ट्रोस्कोपी एवं टाइमिंग)।
                           
 
 
          
| द्रव नोदन प्रणाली से प्रमुख योगदान: | ||
| पी एस एल वी-सी58 ने 1 जनवरी, 2024 को 09:10 बजे (आई एस टी) एक्स्पोसैट उपग्रह को पूर्व की ओर कम झुकी हुई कक्षा में प्रमोचित किया। | ||
| एल पी एस सी ने पी एस एल वी सी58 के लिए पी एस2 और पी एस4 चरण और पांच नियंत्रण शक्ति संयंत्र (पी एस1 आक , एस x 2, पी एस1 एस आई टी वी सी, पी एस0 एस आई टी वी सी x 2) प्रदान किए। उपरोक्त डिलीवरबल्स का विवरण इस प्रकार है : | ||
|  1 न्यूटन का एकल-प्रणोदक ए ओ सी एस थ्रस्टर | 
 | |
 पी एस 2 चरण
पी एस 2 चरण

