श्री रामानुजन वरधराजा पेरुमाल
निदेशक,
30/10/2004 - 31/01/2007,
द्रव नोदन प्रणाली केंद्र, इसरो
Director

श्री आर वी पेरुमाल, अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक प्रमुख प्रौद्योगिकीविद् तथा एलपीएससी के निदेशक है। एलपीएससी के निदेशक के रूप में आप द्रव रॉकेट चरणों एवं इंजनों जैसे जीएसएलवी के स्वदेशी क्रयोजनिक चरण के विकास में तथा इसरो के भारी उत्थापन वाले भावी प्रमोचन यानों के लिए 2000 kN अर्ध निम्न-तापीय इंजनों के नवीन पहलों के लिए मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं।

आपने 20 सितंबर 2003 से 29 अक्तूबर 2004 तक विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र(वीएसएससी), त्रिवेंद्रम में निदेशक(परियोजना) एवं सह निदेशक के रूप में कार्य किया। आप मई 2001 से अक्तूबर 2004 के दौरान विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र(वीएसएससी), त्रिवेंद्रम में सह निदेशक(परियोजना) तथा इसरो के प्रमोचन यान परियोजनाओं के सभी तकनीकी एवं वित्तीय प्रबंधन के सर्व भार अधिकारी थे।

आप भू-तुल्यकाली प्रमोचन यान परियोजना (जीएसएलवी) के परियोजना निदेशक थे। जीएसएलवी के परियोजना निदेशक के रूप में आपने विकास एवं योग्यता परीक्षण के अत्यंत महत्वपूर्ण चरणों में यान के निमार्ण समूह का नेतृत्व किया। निम्न तापीय चरणों के प्रापण हेतु रूस के साथ संविदा करना तकनीकी एवं वित्तीय प्रबंधन का महत्वपूर्ण एवं दुष्कर कार्य था। प्रमोचन यान प्रौद्योगिकी में असीम अनुभव, बृहत उच्च मूल्य में प्राप्त प्रबंधन विशेषज्ञता, गहन प्रौद्योगिकी एवं जोखिम-प्रवण संविदाएँ आदि से निम्नतापीय चरण का निर्माण सफलतापूर्वक हो पाया है। नए प्रमोचन यानों की अनेक असफलताओं के बावजूद, जीएसएलवी अपने प्रथम प्रमोचन में सफल हुआ। इससे भारत को भव्य श्रेय प्राप्त हुआ।

आप संरचनात्मक व यांत्रिकी प्रणाली(एसएमएस) के उप परियोजना निदेशक/ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान (पीएसएलवी) के परियोजना निदेशक थे। संरचनात्मक व यांत्रिकी प्रणाली के उप परियोजना निदेशक के रूप में आपने ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान(पीएसएलवी) के हार्डवेयर एवं यांत्रिक प्रणालियों के अभिकल्पना टीम का नेतृत्व किया। यह कार्य अभिकल्पना करना, कार्यकारी अपेक्षताओं को ध्यान में रखकर विस्तृत अभिकल्पना तैयार करना, निर्माण एवं योग्यता परीक्षण करना था। विशेष ध्यान दिया जाना था:


  • माल से अंतिम उत्पादन तक 2800MM व्यास के मराजिंग स्टील मोटर केस का निर्माण विशेषकर वेल्डिंग प्रौद्योगिकी एवं एनडीई तकनीक तथा मानकों की स्वीकृति ।

  • पीएसएलवी के एलुमिनियम एलोई कठोर कवच संरचना के लिए अभिकल्प करना जैसे:
  • वायविकी के लिए कोर आधारित कवच, जो संकेंद्रित अक्षीय लोडों(700kN), त्रिज्य लोडों तथा बृहत कट-आउट के अभिग्रहण में सक्षम हो
  • 3.2 मी. व्यास और 8.3 मी. लंबाई के पेलोड वहन करने वाले अपरिवर्तनीय रेखांशीय जोडों के कवच की संरचना।

  • सीधे सहभागिता द्वारा कुल 13 नव अभिकल्पित संरचनाएँ तैयार की गई।
  • 3.2 मी.व्यास एवं 8.5 मी.लंबाई वाले संरचनाओं के निर्माण हेतु हल्के भार वाले ऐलॉय संरचनात्मक सीएनजी मशीनों एवं समुच्चयन जिगो की निर्माण सुविधा को स्थापित किया।

  • आपने यान निदेशक एवं मिशन निदेशक के रूप में, पीएसएलवी के प्रथम तीन प्रमोचनों के समाकलन, निर्माण एवं प्रमोचन प्रयासों को समन्वित करने में योगदान दिया।

  • बहु-आयामी सम्मिश्र प्रणालियों यथा प्रमोचन यान के संपूर्ण प्रणाली स्तर योजना एवं प्रबंधन विकास में बृहत अनुभव

  • पर्यावरण परीक्षण सुविधाएं, भारत का प्रथम अंतरिक्ष अनुकरण कक्ष, रॉकेट संरचना हेतु वायुगतिक तापन अनुकारक तथा संरचनात्मक परीक्षण सुविधाएं स्थापित की गई।

आप अक्तूबर 1970 से अगस्त 1980 के दौरान संरचनात्मक इंजिनीयरिंग प्रभाग (डीएच-एसटीआर) में उप प्रधान थे। आपने विभिन्न उत्पादों की अभिकल्पना विश्लेषण में सक्रिय रूप से भाग लिया एवं अभिकलपना आवश्यकता की पूर्ति तथा उनके सुदृढता में सुधार लाने हेतु मूल्यवान योगदान प्रदान किया। एसएलवी-3 के प्रमोचन प्रणाली के परियोजना निदेशक के रूप में आपने 17 टन, 21 मी.लंबे एसएलवी -3 को ट्रान्सपोर्टर से उत्थापन एवं ऊध्वार्धर कर तथा प्रमोचन के लिए दिगंश का संरेखन करने वाले प्रमोचक के निर्माण एवं अभिकलपना समूह का नेतृत्व किया। इस अवधि के दौरान असफलता विश्लेषण बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में यांत्रिक एवं रासायनिक प्रणालियों के विकास के सभी असफलताओं का विश्लेषण किया एवं अधिक विश्वसनीय उत्पादों के निर्माण में उनका निराकरण किया।

आपको निम्न पुरस्कार भी प्रदान किए गए-

  • सन् 1994 में रॉकेट एवं संबंधित प्रौद्योगिकीयों के लिए एस्ट्रोनॉटिकल सोसाईटी ऑफ इंडिया पुरस्कार
  • वर्ष 2001 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता के लिए एचके फिरोदिया स्मारक पुरस्कार
  • सन् 2002 में भारत सरकार द्वारा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के लिए पद्मभूषण पुरस्कार