श्री जी माधवन नायर
निदेशक,
15/04/1994 - 23/09/1999 तथा
01/01/2000 - 31/07/2000
द्रव नोदन प्रणाली केंद्र/इसरो
Director

श्री जी माधवन नायर, अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक प्रमुख प्रौद्योगिकीविद्, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अध्यक्ष तथा अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार के सचिव थे। आप, सितंबर 01 2003 से अंतरिक्ष आयोग के एक शीर्ष नीति निर्माण निकाय के अध्यक्ष भी थे।.

आपने अध्यक्ष इसरो के रूप में अपने सेवा-अवधि के दौरान, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त प्रथम चंद्रयान उड़ान की सफलता अर्जित की है।

श्री जी माधवन नायर ने वर्ष 1966 में केरल विश्व विद्यालय से इंजिनीयरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की तथा सन् 1967 में थुंबा इक्योटेरियल रॉकट लॉचिंग स्टेशन(टेर्लस) में सेवाभार ग्रहण किया। आप प्रथम भारतीय उपग्रह प्रमोचक यान- एसएलवी-3 के विकास से जुडे रहे। तदुपारंत, आपने परियोजना निदेशक के रूप में, भारत के प्रथम प्रचालानात्मक प्रमोचन यान, ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचक यान(पीएसएलवी) के विकास में नेतृत्व किया। अपने सात सफलतापूर्वक उडान के साथ, पीएसएलवी का परिचालन हो गया। आपने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में प्रणाली अभिकल्पना, वायविकी समाकलन व जांच प्रणाली तथा बहु-आयामी क्षेत्रों का नेतृत्व किया।

वर्ष 1995-99 के दौरान द्रव नोदन प्रणाली केंद्र में निदेशक के रूप में, श्री माधवन नायर ने द्रव नोदन प्रौद्योगिकियाँ, निम्नतापीय इंजन के स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास कार्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आप वर्ष 1999 से वर्तमान पद पर कार्य भार ग्रहण करने तक विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी), तिरुवनंतपुरम के निदेशक थे । वीएसएससी इसरो का एक बृहत केंद्र है जहाँ विभिन्न इंजीनियरिंग एवं वैज्ञानिक विषयों पर लगभग छह हज़ार कर्मचारी काम करते हैं। निदेशक की भूमिका में, आपने 2000 की.ग्रा.श्रेणी का भू-तुल्यकाली कक्षा में परिक्रमण करने में सक्षम भारत के भू-तुल्यकाली, प्रमोचन यान-जीएसएलवी के विकास का नेतृत्व किया, जो अपने प्रथम उड़ान में सफल रहा। आपने अंतरिक्ष आयोग के सदस्य के रूप में इसरो के भावी विकास की रूपरेखा तैयार की।

अध्यक्ष-इसरो के रूप में कार्यभार ग्रहण करने के दो महीने में, श्री माधवन नायर के नेतृत्व में संचार उपग्रह, इनसैट-3ई तथा रिसोर्ससैट-1-अब तक इसरो द्वारा निर्मित अत्यंत उन्नत सुदूर संवेदन उपग्रह है, का प्रमोचन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

आपने अनेक अंतरिक्ष एजेंसियों एवं देशों विशेषकर अमेरिका, रूस, ब्रेज़ील, के साथ द्विपक्षीय सहयोग में भारतीय प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व किया तथा परस्पर हितकारी अर्तराष्ट्रीय सहकारिता के समझौतों को तैयार करने में सहयोग प्रदान किया।

श्री माधवन नायर ने वर्ष 1998 से संयुक्त राष्ट्र संघ की बाह्य अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग हेतु गठित समिति के एस व टी उप-समिति के भारतीय प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व किया। आप वर्ष 1999 से सीओपीयूओएस सत्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्य/नायक भी थे। आपने वियन्ना घोषणा- जो यूनिस्पेस-III की मुख्य उपलब्धि थी, का प्रारूप तैयार करने एवं समझौते में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आपने एस एवं टी उप-समितियों के कार्य सूची में आपदा प्रबंधन एवं दूर चिकित्सा आदि विषयों को सफलतापूर्वक प्रारंभ किया। आपने इसरो के अंदर अंतरिक्ष से संबंधित विभिन्न तकनीकी कार्य-कलापों को प्रोत्साहित किया। आपने हमेशा ध्यान दिया कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का लाभ राष्ट्रीय विकास तथा विशेषत: समाज के ग्रामीण एवं दरिद्र लोगों तक पहुँचे।

श्री माधवन नायर को कई पुरस्कार प्राप्त हुए है जिनमें प्रमुख निम्न हैं:-

  • ओम प्रकाश भासिन पुरस्कार
  • स्वदेशी शास्त्र पुरस्कार अवार्ड
  • भारतीय विज्ञान कांग्रेस का विक्रम साराभाई स्मारक सुवर्ण पुरस्कार
  • पंजाब तकनीकी विश्व विद्यालय एवं श्री वेंकिटेश्वरा विश्वविद्यालय, आंध्रा प्रदेश से डाक्टर ऑफ फिलोसफी की मानद उपाधि
  • देश एवं समाज के लिए उनकी सेवाओं को मान्यता देते हुए वर्ष 1998 में श्री माधवन नायर को भारत सरकार द्वारा अत्यंत प्रतिष्ठित "पद्माभूषण" से सम्मानित किया गया।